डिजिटल क्रांति के इस युग में, भारत की विभिन्न राज्य सरकारें शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण पहल कर रही हैं। मेधावी विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने और उन्हें डिजिटल दुनिया से जोड़ने के लिए कई राज्यों में विशेष कंप्यूटर वितरण योजनाएँ चल रही हैं।
योजना का सार
इस अभियान के तहत, उच्च अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को उनकी आगामी शैक्षिक यात्रा में सहायता के लिए डिजिटल उपकरण प्रदान किए जाते हैं। यह पहल विशेष रूप से उन छात्रों के लिए वरदान साबित हो रही है, जिनके परिवार आर्थिक रूप से संपन्न नहीं हैं।
“यह योजना मेरे जैसे गाँव के छात्रों के लिए गेम-चेंजर है। अब मैं भी शहरी छात्रों की तरह ऑनलाइन कोर्सेज कर सकता हूँ,” कहते हैं गुजरात के एक छोटे गाँव के रहने वाले संजय पटेल, जिन्हें पिछले साल यह लाभ मिला।
राज्यवार विविधताएँ
हर राज्य ने इस अभियान को अपने तरीके से आकार दिया है:
हिमाचल का नवाचारी मॉडल: हिमाचल प्रदेश में, पहाड़ी क्षेत्रों के छात्रों के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए रग्ड लैपटॉप दिए जाते हैं, जो कठोर जलवायु परिस्थितियों में भी काम कर सकें। यहाँ न्यूनतम 72% अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थी आवेदन कर सकते हैं, और पारिवारिक आय सीमा 2.8 लाख रुपये वार्षिक निर्धारित की गई है।
तमिलनाडु का व्यापक दृष्टिकोण: तमिलनाडु सरकार ने इस योजना को और व्यापक बनाया है। यहाँ 11वीं कक्षा में प्रवेश लेने वाले सभी सरकारी स्कूल के छात्रों को टैबलेट दिए जाते हैं, जिनमें पाठ्यक्रम से संबंधित सामग्री पहले से लोड की जाती है। इससे डिजिटल विभाजन को कम करने में मदद मिली है।
बिहार का स्मार्ट फोन मॉडल: बिहार में छात्रों को लैपटॉप के बजाय उच्च गुणवत्ता वाले स्मार्टफोन और डेटा पैक प्रदान किए जाते हैं। यह पहल मोबाइल लर्निंग को बढ़ावा देती है और छात्रों को कहीं भी, कभी भी सीखने का अवसर प्रदान करती है।
पश्चिम बंगाल की छात्रा-केंद्रित पहल: पश्चिम बंगाल में ‘सबुज साथी’ कार्यक्रम के तहत विशेषकर छात्राओं को बाइसिकल के साथ-साथ आवश्यकतानुसार डिजिटल उपकरण दिए जाते हैं। इस योजना में 68% से अधिक अंक प्राप्त करने वाली छात्राएँ शामिल हो सकती हैं, जबकि पारिवारिक आय 3.2 लाख रुपये से कम होनी चाहिए।
पात्रता और आवेदन प्रक्रिया
योजना का लाभ उठाने के लिए सामान्यतः निम्न मानदंड रखे गए हैं:
- विद्यार्थी संबंधित राज्य का स्थायी निवासी होना चाहिए
- निर्धारित न्यूनतम अंक प्राप्त किए होने चाहिए (राज्य अनुसार भिन्न)
- सरकारी मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थान से उत्तीर्ण होना चाहिए
- परिवार की आय निर्धारित सीमा के भीतर होनी चाहिए
आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेजों में शामिल हैं:
- फोटो पहचान पत्र
- शैक्षणिक योग्यता प्रमाणपत्र
- निवास प्रमाण
- परिवार आय प्रमाणपत्र
- बैंक खाता विवरण
अधिकांश राज्यों में अब ऑनलाइन आवेदन की सुविधा उपलब्ध है, जिससे दूरदराज के क्षेत्रों के छात्रों के लिए भी पहुँच आसान हो गई है।
वास्तविक प्रभाव
इस पहल के सकारात्मक परिणाम दिखने लगे हैं। झारखंड के एक आदिवासी क्षेत्र की शिक्षिका रेखा मुंडा बताती हैं, “पहले हमारे छात्र कंप्यूटर से डरते थे, लेकिन अब वे न केवल इसका उपयोग करना सीख गए हैं बल्कि प्रोग्रामिंग में भी रुचि दिखा रहे हैं।”
केरल के एक अध्ययन के अनुसार, इस योजना के लाभार्थी छात्रों ने डिजिटल साक्षरता में 47% की वृद्धि दर्ज की है और उनके उच्च शिक्षा में प्रवेश की दर में 23% की बढ़ोतरी हुई है।
चुनौतियाँ और आगे का रास्ता
हालांकि, इस पहल के सामने कई चुनौतियाँ भी हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी बिजली और इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या है। साथ ही, कई छात्रों को इन डिजिटल उपकरणों के प्रभावी उपयोग के लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता है।
गुजरात के शिक्षा विभाग के एक अधिकारी डॉ. मेहता के अनुसार, “हमने अब लैपटॉप वितरण के साथ-साथ बेसिक कंप्यूटर ट्रेनिंग भी शुरू की है। यह छात्रों को सिर्फ उपकरण नहीं, बल्कि कौशल भी प्रदान करता है।”
यह योजना सिर्फ एक उपकरण वितरण अभियान नहीं है, बल्कि डिजिटल समावेशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे ग्रामीण और शहरी छात्रों के बीच डिजिटल विभाजन को कम करने में मदद मिल रही है।
जैसे-जैसे भारत डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है, इस प्रकार के कार्यक्रम न केवल छात्रों को वर्तमान शैक्षिक चुनौतियों के लिए तैयार करते हैं, बल्कि भविष्य के डिजिटल नागरिकों के रूप में उनके विकास में भी योगदान देते हैं।
साथ ही, यह पहल शिक्षा में समानता के सिद्धांत को भी बढ़ावा देती है, जहाँ हर छात्र को, उसकी आर्थिक पृष्ठभूमि के बावजूद, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और डिजिटल संसाधनों तक पहुँच का अवसर मिलता है।
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